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महाराष्ट्र का कटाप्पा कौन ?

पुणे- देश की सभी शक्तियां अगर एक हाथ में आ जाए और उसका गलत इस्तेमाल होने लगे तो फिर लोकतंत्र की हत्या,संवैधानिक दुहाई,न्याय-अन्याय की परिभाषा गढना बेईमानी सी लगती है। महाराष्ट्र में पूर्ण बहुमत की सरकार को गिराना और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को न बनाकर एकनाथ शिंदे को बनाना भाजपा हाईकमान की एक बडी सोची समझी रणनीति का हिस्सा है,जो मुंबई मनपा चुनाव से दिखने लगेगी। बीजेपी में अगर कोई बड़ा होने लगता है तो हाईकमान उसका कद छांट देता है जैसे देवेंद्र फडणवीस का किया,इसके पहले नितिन गडकरी,रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावडेकर,कर्नाटक के तात्कालीन मुख्यमंत्री येदुरप्पा,उमा भारती का हुआ। लालकृष्ण आडवाणी तो भूली बिसरी गीत हो गए।

 

इसमें कोई शंका नहीं कि महाराष्ट्र भाजपा में देवेंद्र फडणवीस जैसा तेज दिमाग,अच्छा वक्ता,कुशल रणनीतिकार और कोई नहीं।संघ के पेट से नितिन गडकरी,फडणवीस निकले,दोनों किनारे लग गए। यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले योगी बाबा को किनारे लगाने की कोशिश हुई,वो भी संघ से जुड़े है लेकिन बाबाजी का खुंटा इतना मजबुत था कि गुजराती जोडी उखाड़ न सके। 2024 के लोकसभा चुनाव बाद योगी का खुंटा एक बार फिर उखाड़ने की कोशिश की जाएगी। महाराष्ट्र को पहली बार उद्धव ठाकरे के रुप में संवैधनशील,भोला,सीधा साधा मुख्यमंत्री मिला था। शिवसेना कई बार टूटी फिर दोगुने ताकत से उभरी। मनपा,लोकसभा,विधानसभा चुनाव में शिवसेना की असली अग्निपरीक्षा होगी कि असली शिवसेना किसकी?इतिहास गवाह है कि दबाबाजी के बीज कभी पनपते नहीं,बबुल के पेड़ में फूल कभी खिलते नहीं।

 

उद्धव ठाकरे कभी भी मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे लेकिन महाराष्ट्र के चाणक्य मराठा नेता शरद पवार के जिद के आगे मजबुर हुए। सरकार खतरे में पड़ी तो सबकी निगाहें इसी चाणक्य पर टिकी रही कि बचा लेंगे,लेकिन उनकी कोशिश कहीं नजर नहीं आयी। अगर शरद पवार असम के होटल में जाकर बागियों से मिलरते और समझाते तो बागी शायद मानकर घर वापसी कर लेते,अजित पवार की सरकार बचाने की भूमिका संदिग्ध रही,अजित पवार मन से प्रयास करते तो 7-8 विधायकों को वापस बुला सकते थे मगर ऐसा नहीं किए। क्यो? सबकी गर्दन ईडी,इनकम टैक्स के हाथ में जकड़ी है। शरद पवार ने अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए 6 महिने में शिंदे सरकार गिर जाएगी,ऐसी भविष्यवाणी की है,ये किसी हास्यपद से कम नहीं लगती। सच्चाई यह है कि महाराष्ट्र के चाणक्य की अब जादूगरी का असर खत्म होने लगा है। गुजरात के चाणक्य ने सारी सरकारी एजंसियों की मदद से सरकार गिराने में सफल रहे। इसलिए यह कहने में कोई संकोच नहीं कि महाराष्ट्र का चाणक्य हारा और गुजरात का चाणक्य जीता। महाराष्ट्र के चाणक्य ऐसा न समझे कि उनको या उनकी पार्टी राकांपा को भाजपा वाले बक्श देंगे। शिवसेने के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस को विभाजित करने का नंबर है। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली घटना शपथग्रहण के दिन देखने को मिली। फडणवीस को मिठाईयां खिलायी जा रही और बांटी जा रही थी,उसी बीच भाजपा हाईकमान के एक आदेश ने रंग में भंग डाल दिया। आदेश था एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री होंगे और फडणवीस उपमुख्यमंत्री। फडणवीस समेत पूरे महाराष्ट्र को 440 वोल्ट का करंट लगा। खुशियां मायूसी में बदल गई। हमारे आदेश आपकी इच्छाओं से अधिक महत्वपूर्ण है,ऐसा फरमान सुनने के बाद फडणवीस ने एक सच्चे सिपाही की तरह वही किया जो 1975 के दशक में यशवंतराव चव्हाण ने इंदिरा गांधी के आदेश पर किया।

 

अब सवाल उठता है कि भाजपा हाईकमान ने फडणवीस को एसपी से डीएसपी की कुर्सी पर क्यों बैठाया। इसके पीछे कई कारण है जो हम उजागर करने जा रहे है। Narendra after Devendra  नामक एक पोस्ट हाईकमान को परेशान कर रहा था। सबको पता है कि नरेंद्र मोदी के बाद अमित शाह प्रधानमंत्री की रेस में है,फिर योगी आदित्यनाथ का नंबर लगेगा। देवेंद्र गुजराती लॉबी के आँखों में चुभने लगे। संघ के नजदीक थे,जहां से उनको ताकत प्राप्त होती है। देवेंद्र ही अकेले नेता हैं जो शिवसेना को तोड़ सकते है। देवेंद्र के नेतृत्व में मिशन लोटस चलाया गया। ईडी,आयकर विभाग,सीबीआई एजंसियों को शिवसेना विधायकों के पीछे लगाया गया। रिक्शा चलाने वाले एकनाथ शिंदे अरबपति कैसे बने,ईडी ने उनके सहयोगी को नोटिस भेजा,जेल में डाला। शिंदे के गले का फंदा कसना शुरु हुआ। मुकेश अंबानी के घर के सामने जो विस्फोटक से भरी गाडी बरामद हुई उसमें एनआईए की जांच में एकनाथ शिंदे का नाम सुर्खियों में आया। इसी तरह प्रताप सरनाईक ठाणे के बडे रियल इस्टेट अरबपति कारोबारी हैं,175 करोड़ की ईडी जांच चल रही है। उद्धव ठाकरे को कई बार पत्र लिखा कि मोदी से पेचअप कर लो,यामिनी जाधव के पति यशवंत जाधव बीएमसी के नेता, अरबपति है,इनकम टैक्स की नोटिस गई,बांद्रा की कई प्रॉपर्टी सीज हुई,भाजपा के सामने नतमस्तक हुए,इसी तरह बागी विधायक भावना गवली अपनी माता के साथ एक एनजीओ चलाती थी। गड़बड़ी करके अकूत पैसा कमाई के आरोप लगे,सहयोगी सईद खान को ईडी ने गिरफ्तार करके जेल भेजा। गवली जेल नहीं जाना चाहती थी।

 

शिवसेना छोड़कर गए विधायकों को हम बागी नहीं मानते,क्योंकि इनकी गर्दन का फंदा ईडी,इनकम टैक्स,सीबीआई ने कस रखी थी, फंदा का आखिरी छोर अमित शाह के हाथ में था। देवेंद्र ने जब खाना पक्का लिया तो उसे एकनाथ शिंदे को खिलाकर ब्राहमण नेता फडणवीस का कद छांटा गया। गुजराती जोडी के नजर में आर्थिक राजधानी मुंबई है,आने वाले मनपा चुनाव में मुंबई पर कब्जा करके शिवसेना की आर्थिक कमर तोड़ने की दूरगामी खिचड़ी पक रही है। मोरारजी देसाई ने एक बार मुंबई को गुजरात में शामिल करने की असफल कोशिश की थी,अब गुजराती जोडी एकनाथ शिंदे के कंधे पर बंदुक रखकर यह काम करें तो कोई ताजुब नहीं। साथ ही शिंदे के द्धारा शिवसेना पार्टी और चुनाव चिन्ह पर कब्जा या चुनाव आयोग से सीज कराने के दांवपेंच में लगी है। महाराष्ट्र के दो टूकडे करके विदर्भ अलग राज्य बनाना। नागपुर,अकोला,वासिम,भंडारा,यवतमाल,गढचिरौली,अमरावती,रामटेक,वर्धा,चंद्रपुर,हिंगोली आदि महत्वपूर्ण जिले आते हैं। महाराष्ट्र के नकाशे में सबसे ज्यादा जिले विदर्भ में है। विदर्भ से 10 सांसद और 62 विधायक चुनकर जाते है। महाराष्ट्र से विदर्भ को अलग करने का पाप एकनाथ शिंदे से भाजपा कराए तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

 

भाजपा एकनाथ शिंदे के माध्यम से कांटे से कांटा निकालना चाहती है। यह बात अलग है कि शिंदे को प्रशासनिक,रणनीतिक,अनुभव के लिए पूरी तरह भाजपा पर निर्भर रहना होगा। देवेंद्र ने भी हाईकमान के आगे नतमस्तक होकर अपमान का घूंट पीकर बलिदानी भूमिका में नजर आए। मैं फिर आऊंगा,लेकिन आधे अधूरे आए। आज विश्वासत की जीत की बनावटी हंसी फडणवीस के चेहरे पर दिखी। भाई..अंगुर न मिले तो खट्टे है.. उनके भक्तों का कहना है कि नीलकंठ की तरह जहर पीया,हमारा ऐसा मानना है कि उनके मुंह में जबरन जहर पिलाया गया। भाजपा एकनाथ से हर वो काम करवाएंगे जो भाजपा खुद नहीं कर सकती। एकनाथ शिंदे कोई लोहिया नहीं कि लहर चली और 39 विधायक संग चल पड़े। पर्दे के पीछे उद्धव सरकार तख्तापलट की जो स्क्रीप्ट तैयार की गई, पर्दे के फीछे भाजपा और पर्दे के आगे एकनाथ शिंदे को किया गया। शिवसेना को भाजपा क्यों खत्म करना चाहती है। दोनों का हिंदुत्व एजेंड़ा एक है। अगर महाराष्ट्र जैसे धनी राज्य को पूरी तरह कब्जे में करना है तो हिंदुत्व की म्यान में एक ही तलवार रहेगी। जब सबसे बड़ा हिंदुत्ववादी दिल्ली के तख्त पर बैठा है तो फिर महाराष्ट्र के हिंदुत्वादी की क्या जरुरत? महाराष्ट्र के इस राजनीतिक फिल्म में अदृश्य कटप्पा है जिसने उद्धव ठाकरे की सरकार गिरायी। एकनाथ शिंदे कटाप्पा नहीं एक मोहरा है,फडणवीस फिल्म के स्क्रीप्ट रचेता है,फिर कटाप्पा कौन है? इसको जानने के लिए महाराष्ट्र की राजनीति की फिल्म पार्ट-2 देखना अभी बाकी है…यानि पिक्चर अभी बाकी है।

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