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12 किलो वजन का सोने का एक सिक्का की खोज में जुटा भारत 

नई दिल्ली- आपने 10 ग्राम,20 ग्राम,50 ग्राम के सोने के सिक्के देखे होंगे,लेकिन क्या आपको दुनिया के सबसे बड़े सोने के सिक्के का वजन मालूम है? दुनिया के सबसे बड़े सोने के सिक्के का वजन करीब 12 किलोग्राम है और मजेदार बात है कि इसकी ढलाई भारत में ही हुई थी। आज के समय में भले ही यह सिक्का गायब हो गया है, लेकिन सदियों तक यह भारत के राजाओं-नवाबों की तिजोरी की शान बढ़ाता रहा है। अब केंद्र सरकार ने फिर से इस सिक्के की नए सिरे से तलाश शुरू की है।

 

मुकर्रम जाह ने की थी बेचने की कोशिश

केंद्र सरकार ने करीब 4 दशक पहले भी सोने के इस सिक्के की तलाश शुरू की थी। हालांकि सीबीआई को तब इसे खोज पाने में सफलता नहीं मिल पाई थी। इसे अंतिम बार हैदराबाद के शाही परिवार के टाइटलर निजाम तखखख मुकर्रम जाह के पास देखा गया था, जिसने कथित तौर पर एक स्विस बैंक में इसे नीलाम करने का प्रयास किया था। जाह को यह सिक्का अंतिम निजाम और अपने दादा मीर उस्मान अली खान से विरासत में मिला था। हालांकि उस कथित नीलामी के समय सीबीआई ने इसे लोकेट करने का प्रयास किया था,पर सफलता नहीं मिल पाई थी।

 

जहांगीर ने ढलवाए थे दो विशाल सिक्के

बताया जाता है कि इस सिक्के की ढलाई बादशाह जहांगीर ने कराई थी। खबर में इतिहासकार एवं एचके शेरवानी सेंटर फॉर डेक्कन स्टडीज की प्रोफेसर सलमा अहमद फारूकी के हवाले से बताया गया है कि इसे 1987 में जेनेवा में नीलाम करने का प्रयास किया गया था। यूरोप में मौजूद भारतीय अधिकारियों ने कथित नीलामी की खबर सरकार को दी। इसे साल 1987 में जेनेवा के होटल मोगा में 09 नवंबर को नीलाम किए जाने की सूचना थी। हैब्सबर्ग फेल्डमैन एसए इस सिक्के को पेरिस स्थित इंडोस्वेज बैंक की जेनेवा शाखा की मदद से नीलाम करने का प्रयास कर रहा था। सीबीआई ने इस मामले को अपने हाथों में लिया। जांच शुरू हुई और काफी जानकारियां सामने भी आई, लेकिन सिक्के का पता नहीं चल पाया।

 

इतनी आंकी गई थी सिक्के की वैल्यू

खबर में प्रोफेसर सलमा के हवाले से बताया गया है कि सीबीआई की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन यूनिट ने 1987 में एंटीक एंड आर्ट ड्रेजर्स एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। जांच में पता चला कि मुकर्रम जाह ने 1987 में स्विस नीलामी में सोने की 2 मुहरें बेचने का प्रयास किया था। उनमें से एक मुहर का वजन 1000 तोला था। 1987 में उस सिक्के की वैल्यू 16 मिलियन डॉलर आंकी गई थी। उन्होंने कहा कि यह नीलामी 1988 में जाह के द्वारा 09 मिलियन स्विस फ्रैंक का लोन लेने के प्रयास से पहले की जा रही थी।

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