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फिर रक्तरंजित क्रांति की जरुरत,कामगार नेता यशवंत भोसले की ललकार

पिंपरी- पिछले दो सालों से कोरोना काल में कामगारों की व्यथा और वेदना किसी ने नहीं सुनी। लॉकडाउन में कंपनियां बंद पडी,हजारों कामगार बेरोजगार हुए,सैकडों किमी पैदल कामगार अपने गांव जाने को मजबुर हुए। कंपनी मालिकों ने काम से निकाल डाला, परमानेंट कामगारों को 50% वेतन पर रखा। कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर निर्णय हुआ लेकिन दमनकारी मालिकों ने कोर्ट के निर्णय को कचरे की पेटी में डाल दिया। पुलिस प्रशासन भी कोर्ट के अवहेलना के लिए कंपनी मालिकों पर कार्रवाई नहीं की। अगर कामगारों को अपना हक्क,न्याय पाना है तो फिर एक बार 1886 की रक्तरंजित वाली क्रांति लाना होगा। ऐसा आवाहन राष्ट्रीय ़श्रमिक आघाडी के अध्यक्ष यशवंत भोसले ने आज पत्रकार परिषद में किया। इस अवसर पर

 

रैली कहां से कहां तक?

कामगार नेता यशवंत भोसले ने बताया कामगारों में नवचेतना जगाने के लिए 1 मई कामगार दिवस के पर्व पर पिंपरी चिंचवड शहर में कामगार अस्तित्व रैली निकाली जाएगी। जिसमें लगभग 2000 कामगार शामिल होंगे। रैली का नेतृत्व खुद यशवंत भोसले करेंगे। रैली राष्ट्रीय ़श्रमिक आघाडी के संत तुकारामनगर कार्यालय से सुबह 9 बजे निकलेगी। इसमें 300 मीटर साइकिल,टेम्पो,ट्रक,कार,ऑटो वाहन में कामगार सवार होकर रैली में शामिल होंगे। रैली संततुकारामनगर-कै.यशवंतराव चव्हाण पुतले पर माल्यार्पण के बाद पुलिस चौकी,नेहरुनगर चौक,कामगार नगर,डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर पुतला पर माल्यार्पण अर्पण करके पुलिस चौकी के सामने संत तुकाराम महाराज प्रतिष्ठान में समापन होगी।

 

कामगारों की व्यथा,वेदना,उत्पीडन

यशवंत भोसले ने आगे बताया कि सन 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी परिषद के नेतृत्व में 1 मई को बैठक हुई और अंतर्राष्ट्रीय कामगार दिन की घोषणा हुई। इस दिन सरकारी अवकाश भी घोषित हुआ। काम के लिए 8 घंटे निर्धारित किया गया। श्रमिकों की कुछ मांगों को मान्यता मिली जो आगे चलकर कानून बना। वर्तमान में कामगारों का कंपनी मालिकों द्धारा जिस तरह दमन,शोषण,उत्पीडन हो रहा है। सरकारी,गैर सरकारी,कंपनी,छोटे बडे उद्योगों में कामगार अपने हक्क,न्याय को पाने से वंचित है। 90% ठेकेदारी से कामगारों को रखने की प्रथा चल पडी है। 12 घंटे काम लिया जा रहा है। त्योहार की छुट्टियां,वैद्यकीय उपचार,भविष्य निर्वाह निधी से कामगार वंचित है। इनकी लडाई लडने वाला कोई भी राजनीतिक पार्टियां आगे नहीं आ रही। महंगाई,बेरोजगारी,किसान के मुद्दे पर चर्चा नहीं होती,मस्जिद,मंदिर,लाउडस्पीकर,हनुमान चालीसा पर देशवासियों का चंद चतुर लोग ध्यान बांट रखे है। अब समय आ गया है कि कामगारों को अपनी लडाई लडने के लिए 133 वर्ष बाद रक्तरंजित क्रांति लाए,और सोयी,बहरी सरकार को जगाए,हिलाए और जरुरत पडे तो गिराए। ऐसी अपील कामगार नेता यशवंत भोसले ने की।

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