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स्मार्ट सिटी वाली मनपा भवन के कर्मचारी बूंद बूंद पानी के लिए तरसे

पिंपरी- स्मार्ट सिटी की पिंपरी चिंचवड मनपा में प्रशासक राज कायम है। पहली बार प्रशासक राज लागू हुआ और पहली बार मनपा भवन के अधिकारियों,कर्मचारियों को बूंद बूंद पीने के पानी को तरसना पडा। पिंपरी चिंचवड की वही मनपा है जो एशिया खंड में सबसे अमीर पालिका की श्रेणी में आती है। अपने कई अच्छे कामों के लिए केंद्र सरकार से पुरस्कृत भी हो चुकी है। हाल ही में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के हाथों राजीव गांधी प्रशासकीय गतिमान अभियान स्पर्धा में प्रथम क्रमांक का पुरस्कार से सम्मानित हुई। लेकिन कहावत चरितार्थ है कि दीया तले अंधेरा।

 

पालिका कर्मचारी पानी खरीदने को मजबुर

कल गुरुवार 28 अप्रैल का वो काला दिन मनपा भवन प्रशासकीय इमारत के लिए आया। जिस प्रशासकीय इमारत में चाय की हर दिन नदियां बहती थी वहां पूरे दिन पीने के पानी के लिए कर्मचारी बूंद बूंद पानी के लिए तरस गए। शौचालय में पानी नहीं था। हाहाकार तब मचा जब दोपहर 1.30 बजे लंच का समय हुआ। भोजन है मगर पानी नहीं। कर्मचारी बेबस,लाचार,हैरान,परेशान होकर गेट के बाहर जाकर पहले पीने का पानी खरीदा फिर खाना खाया। किससे शिकायत करें। जनप्रतिनिधियों की बॉडी बर्खास्त है,प्रशासक राज है,आयुक्त राजेश पाटिल के सामने पानी का मुद्दा लेकर जाने की किसी की हिम्मत नहीं। कर्मचारी महासंघ के नेतागण भी मौनीबाबा की स्थिति में दिखे। क्योंकि चुनाव हो चुका है।

 

शहर के कई इलाकों में प्रायवेट टैंकर सक्रिय

पानी की किल्लत से मुख्यालय आने वाले अधिकारियों,कर्मचारियों और नागरिकों को भारी परेशानी हुई। इस मौके पर जलापूर्ति विभाग के अनियोजित प्रबंधन का एक और नमूना सामने आया। पिंपरी-चिंचवड़ शहर पिछले कुछ महीनों से अपर्याप्त पानी,दूषित पानी और बाधित पानी की आपूर्ति का सामना कर रहा है। इसलिए शहरवासी नाराज हैं। साथ ही पिछले ढाई साल से चल रहे वाटर कट (एक दिन बाद पानी) को भी बरकरार रखा गया है। उसी से राजनीतिक दलों के पत्र-व्यवहार,आंदोलन हो रहे हैं। आज चिखली में राष्ट्रवादी कांग्रेस की ओर से पानी संकट को लेकर तीव्र आंदोलन किया गया। शहर के कई इलाकों में पीने के पानी के लिए नागरिक परेशान है। प्रायवेट टैंकरों से पानी खरीदने को मजबुर है। प्रा

 

पीने का पानी नहीं,शौचालय में पानी नहीं

गुरुवार सुबह से मनपा मुख्यालय में पानी नहीं आया। सुबह साढ़े नौ बजे से कर्मचारी व अधिकारी मुख्यालय आने लगे। शौचालय में पानी नहीं था। पीने का पानी कहीं नहीं मिलता था। पहले घंटे तक किसी ने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। उसके बाद दोपहर हो गई, लंच का समय हो गया लेकिन स्थिति जस की तस बनी रही। फोन करने पर पता चला कि जलापूर्ति विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं है। तब तक अधिकारियों ने पानी की बोतलें बाहर से मंगाने के आदेश दिए हैं। हालांकि यह दूसरों के लिए असुविधाजनक था। कार्यपालक अभियंता रामनाथ टाकले ने मीडिया को बताया कि नेहरू नगर में जलापूर्ति में खराबी के कारण जलापूर्ति ठप है। इसके बाद टैंकर से पानी मंगवाया गया। मुख्यालय में जलापूर्ति को सुचारु बनाने का काम देर रात तक जारी था।

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