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महाराष्ट्र भाजपा के 12 विधायकों का निलंबन रद्द 

मुंबई- सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र बीजेपी के 12 विधायकों का निलंबन रद्द कर दिया है। विपक्षी समूहों ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के राजनीतिक आरक्षण को बनाए रखने के लिए केंद्र से सांख्यिकीय जानकारी प्राप्त करने के लिए मानसून सत्र के दौरान विधानसभा में एक प्रस्ताव का आह्वान किया। विधानसभा कार्यालय में पीठासीन अधिकारी भास्कर जाधव को कथित तौर पर गाली देने और बहकाने की कोशिश करने के आरोप में भाजपा के 12 विधायकों को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया। बाद में इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाया गया।

 

महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी के 12 विधायकों को एक साल के लिए सस्पेंड कर दिया गया था। भास्कर जाधव उस समय पीठासीन अधिकारी थे। उसके पीछे दौड़ने और गाली देने के लिए विधायकों को निलंबित कर दिया गया था। इस बीच निलंबित विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। याचिका पिछले कई महिनों से लंबित थी। इस बीच कोर्ट ने आखिरकार आज ऐतिहासिक फैसला सुना दिया। अदालत ने फैसला सुनाया कि विधायकों को निलंबित करने का निर्णय असंवैधानिक था। उन्होंने यह भी कहा कि अगर निलंबन होना था तो वह सिर्फ एक अधिवेशन सत्र के लिए होना चाहिए था। कोर्ट के फैसले से बीजेपी विधायक राहत महसूस कर रहे हैं।

 

सुप्रीम कोर्ट ने ठाकरे सरकार को फटकार लगाई

पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह फैसला लोकतंत्र के लिए खतरा और तर्कहीन है। पीठ ने महाराष्ट्र राज्य का बचाव करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आर्यमा सुंदरम से सत्र के बाद के निलंबन के तर्क पर कड़े सवाल पूछे थे। जस्टिस खानविलकर ने कहा था,जब आप कहते हैं कि कार्रवाई निष्पक्ष होनी चाहिए, तो निलंबन के पीछे कोई मकसद होना चाहिए और वह मकसद कन्वेंशन के संदर्भ में है। वह क्रिया उस सत्र से आगे नहीं बढ़नी चाहिए,अन्यथा सब कुछ तर्कहीन होगा। असली मुद्दा फैसले की निष्पक्षता है और इसकी कोई बड़ी वजह होनी चाहिए। 6 महीने से अधिक समय से निर्वाचन क्षेत्र से वंचित रहने के बाद,आपका 1 वर्ष का निर्णय तर्कहीन है। अब हम बात कर रहे हैं संसदीय कानून की भावना की।

 

जस्टिस सीटी रविकुमार ने कहा था,चुनाव आयोग को एक और बात पता चली है। बताया जा रहा है कि जिन सीटों पर रिक्तियां हैं,वहां चुनाव होंगे। लेकिन अगर निलंबन होता है,तो चुनाव नहीं होगा,लेकिन अगर किसी व्यक्ति को निष्कासित कर दिया जाता है,तो चुनाव होगा। यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। अगर 15/20 लोगों को एक साथ सस्पेंड कर दिया जाए तो लोकतंत्र का भविष्य क्या होगा?

 

निलंबन के कारण क्या हुआ?

राज्य के मानसून सत्र के पहले ही दिन विधानसभा सत्र के पहले दिन ओबीसी राजनीतिक आरक्षण के मुद्दे पर सदन में अभूतपूर्व हंगामा हुआ। उसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्षी दलों के विधायक भी आमने-सामने आ गए। इस बीच विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय में पीठासीन अधिकारी भास्कर जाधव को गाली देने और हंगामा करने के आरोप में भाजपा के 12 विधायकों को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया। इनमें अतुल भटकलकर,राम सतपुते,आशीष शेलार,संजय कुटे,योगेश सागर,कीर्तिकुमार बागड़िया,गिरीश महाजन, जयकुमार रावल,अभिमन्यु पवार,पराग अलवानी,नारायण कुचे और हरीश पिंपल शामिल थे। इन सभी निलंबनों को रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी।

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