पटना-एक पुरानी कहावत है कि करेला उपर से नीम चढ़ा। देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है। अब तक हजारों लोगों की जानें चली गई। इस बीच ब्लैक फंगस ने एन्ट्री मारी और पूरा स्वास्थ्य महकमा हिल गया। अब व्हाइट फंगस के दशतक से देश में हडकंप मच गया है। व्हाइट फंगस के बारे में वैज्ञानिकों,डॉक्टरों का कहना है कि ब्लैक फंगस से ज्यादा खतरनाक होता है। पटना में व्हाइट फंगस के मरीज मिले है। यह फेफडों के अलावा,स्किन,नाखून,मुंह के अंदरुनी भाग,आमाश्य और आंत,किडनी,गुप्तांग को संक्रमित करता है।
पटना मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के हेड डॉ.एसएन सिंह के मुताबिक अब तक ऐसे चार मरीज मिले हैं,जिनमें कोविड-19 जैसे लक्षण थे,पर वे कोरोना नहीं बल्कि व्हाइट फंगस से संक्रमित थे। मरीजों में कोरोना के तीनों टेस्ट रैपिड एंटीजन,रैपिड एंटीबॉडी और आरटी पीसीआर टेस्ट निगेटिव थे। जांच होने पर सिर्फ एंटी फंगल दवाओं से ठीक हो गए। इसमें पटना के चर्चित सर्जन भी हैं जिन्हें एक बड़े प्राइवेट अस्पताल में कोरोना वार्ड में भर्ती कराया गया था। जांच से पता चला कि वे व्हाइट फंगस से पीड़ित हैं। एंटी फंगल दवाओं के बाद उनका ऑक्सीजन लेवल 95 पहुंच गया।
कोरोना है या व्हाइट फंगस पहचान लगाना मुश्किल है। कैंसर के मरीज जो दवा पर है उनको जल्द दबोचता है। नवजात शिशू भी शिकार होते है। क्रिम रंग के सफेद धब्बे दिखाई देते है। एम्स में 8,आईजीआईएमएस में 9 मरीज भर्ती हुए है।