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इंद्रायणी गंगा पर जलकुंभी की चादर बिछी, नेताओं के दावे खोखले साबित

पिंपरी-महान संततुकाराम और संत ज्ञानेश्‍वर समाधि मंदिर को अपने पवित्र जल से पवित्र करने वाली इंद्रायणी गंगा का अस्त्तिव खतरे में दिखाई दे रहा है। आलंदी देवस्थान के तीरे नदी में जलकुंभी ने गंगा को चारों तरफ से कैद कर लिया है। इतना ही नहीं जलकुंभी का फन आने जाने वाले रास्तों पर फूफकार मार रहा है। स्थानीय संत समाज के लोग पवित्र जल में स्नान करने को तरस रहे है। हर साल जलकुंभी को निकालने और साफ सफाई करने के लिए करोडों रुपये फूंका जाता है। नामामि गंगे के नाम से पालिका की तिजोरी से करोडों रुपये निकाला गया और डकारा गया। लेकिन परिस्थिति जैसे थे की हालत में है।इस समय सबसे बडा विवाद इस बात का चल रहा है कि जलकुंभी को कौन निकालेगा? आलंदी और पिंपरी पालिका प्रशासन में विवाद चल रहा है।

महाराष्ट्र का तीर्थक्षेत्र देहू और आलंदी,यह दोनों पुणे जिले में है। आलंदी तीर्थक्षेत्र न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश के श्रद्धालुओं का श्रद्धा और भक्ति का स्थान है। यहाँ संत ज्ञानेश्वर जी की समाधी का दर्शन लेने आने वाले श्रद्धालू इसी इंद्रायणी नदी में स्नान कर उसका पानी प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते ह््ैं। इन दिनों इंद्रायणी नदी को जलकुंभी ने कैद कर रखा है। इंद्रायणी नदी की साफसफाई में अब तक करोडों रुपये स्वाहा हो गया। मगर समस्या जैसे थे की परिस्थिति में है। जलकुंभी को निकालने का काम कौन करे? यह सबसे बडा विवाद इन दिनों पिंपरी चिंचवड मनपा और आलंदी नगरपरिषद प्रशासन के बीच छिडा हुआ है।

. यह सभी पिंपरी चिंचवड महानगरपालिका की लापरवाही है जिसके चलते इसी इंद्रायणी का पानी पूरी तरह से दूषित हो चुका है। इस नदी में मैला मिश्रित पानी और कारखनों से निकला रसायन मिश्रित पानी नदी में छोड़ने की वजह से नदी प्रदूषित होती जा रही है। साथ ही नदी में जलकुंभी का प्रमाण इतना बढ़ गया है कि नदी का अस्तित्व ही खतरे में पड गया है। इस समस्या का निवारण करने के लिए आलंदी नगर परिषद द्वारा कई बार शिकायतें और ध्यानाकर्षित करने हेतू आलंदी नगरपालिका के प्रतिनिधी मंडल ने पिंपरी चिंचवड मनपा के महापौर और मनपा आयुक्त से मुलाकात की।लेकिन प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेंगती।

आपको बता दें कि पिंपरी चिंचवड के चिखली तलवड़े मोशी और अन्य औद्योगिक क्षेत्र की कम्पनियों का रसायन मिश्रित मैला पानी बिना प्रक्रिया किये ही इंद्रायणी नदी में छोड़ा जा रहा है। इसे आलंदी वासी और यहां पर आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो गया है। रासायन मिश्रित दूषित पानी से यहां पीलिया,गैस्ट्रो,जैसी बीमारियां फैला रही है। केवल मनपा की लापरवाही से आलंदी वासी रोजाना 40 रुपये खर्च से 20 लीटर पानी खरीदने पर विवश है। ऐसे प्रशासन को नींद से जगाने के लिए कदम उठाना जरुरी है वही दूसरी और इंद्रायणी गंगा की स्वछता के लिए राजनेता सैकड़ों वादे तो करते है लेकिन पूरा कब करेंगे यह देखना होगा। माउली इन सभी को सद्बुद्धि दें और आलंदी इंद्रायणी नदी को यथाशीघ्र जलकुंभी से आजाद करवाए,ताकि इंद्रायणी नदी की पवित्रता बरकरार रहे।

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