पिंपरी-पिंपरी चिंचवड शहर में बढते कोरोना संक्रमित मरीजों को ध्यान में रखते हुए भविष्य में अतिरिक्त आयसीयू, बेड और मेडिकल स्टाफ की जरुरत को मद्देनजर रखते हुए वायसीएम स्थित रुबी अलकेयर प्रा.लि. के 288 स्टाफ को पिंपरी पालिका दो महिने के लिए करारनामा पर लेने का निर्णय लिया है। आज इस संबंध में स्थायी समिति में आए विषय को आंख बंद करके सभापति समेत 16 सदस्यों ने मंजूरी दी है। इसमें मेडिकल स्टाफ, नॉन मेडिकल स्टाफ का समावेश है। जिसके लिए पालिका प्रशासन 2 करोड रुपये खर्च करेगी।
आश्चर्य इस बात की हो रही है कि पालिका के पास वर्तमान में पर्याप्त मेडिकल स्टाफ है। कम से कम नॉन मेडिकल स्टाफ की बिल्कुल जरुरत नहीं है इसके बावजूद 288 कर्मचारियों को एक तरह से गोद लेने का काम किया जा रहा है। वेतन श्रेणी में भी न्यूनतम वेतन नियमों से बाहर जाकर किसी को 7 हजार तो किसी को सवा लाख रुपये तक दिया गया। एक अकाउंटेट सिक्यूरिटी को 80 हजार वेतन तो डायरेक्टर को सवा लाख रुपये वेतन दिया जा रहा है। कहीं कहीं तो एक ही पद के लिए अलग अलग वेतन दिखाया गया।
इस बारे में स्थायी समिति सभापति संतोष लोंढे से सवाल किया गया कि किसी ठेकेदार कंपनी के 288 कर्मचारियों को गोद लेने की क्या जरुरत आन पडी, सभापति अपनी भोली सूरत के मुताबिक अज्ञानता व्यक्त करते हुए आयुक्त की ओर से विषय आया हमने मंजूर किया द्ो लाइन में अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड लिया। अगर कानून पेंज लगा और फौजदारी गुनाह दर्ज हुआ तो भाजपा के सभापति दोषी,आरोपी नंबर वन कहलाएंगे। इस बारे में अतिरिक्त आयुक्त अजित पवार ने कहा कि वायसीएम को पूरी तरह कोविड-19 इलाज के लिए घोषित किया गया है। दूसरी बीमारी के लिए इलाज नहीं होगा। शहर में बढते कोरोना मरीजा को ध्यान में रखते हुए भविष्य की तैयारी का यह एक हिस्सा है। डॉक्टर मेडिकल स्टाफ की कमतरता है। इसलिए पूरी टीम को अधिग्रहण किया गया है। केवल दो महिने के करार पर लिया गया। किसी भी ठेकेदार को पालने या फायदा पहुंचाने अथवा किसी के दबाव में यह निर्णय नहीं लिया गया।
अति. आरोग्य वैद्यकीय अधिकारी डॉ. पवन सालवे ने भी अतिरिक्त आयुक्त की बात को आगे बढाते हुए कहा कि 2 महिने में सबकुछ ठीक रहा तो करारनामा कैंसल होगा। दो महिने में अगरत कोविड मरीजों की संख्या में वृद्धि होती है तो उसके लिए पूर्व तैयारी का हिस्सा है। अभी तक हमने किसी को वेतन नहीं दिया। सभापति ने अंत में निर्णय लिया कि वो एक पत्र प्रशासन को देंगे कि मेडिकल स्टाफ को लिया जाए नॉन मेडिकल अथवा अनावश्यक स्टाफ की जरुरत नहीं। पर्दे के पीछे की कहानी बयां कर रही है कि किसी के दबाव में आकर ठेकेदार को पालने पोसने के इरादे से पालिका तिजोरी से 2 करोड रुपये अप्रत्यक्ष निकालने का काम हो रहा है।
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